Tuesday, February 28, 2023

पान वाले से दाऊद इब्राहिम के ठिकाने तक फैली है फरीद तनाशा की कहानी

 

पान वाले से दाऊद इब्राहिम के ठिकाने तक फैली है फरीद तनाशा की कहानी


जिस फरीद तनाशा मर्डर में मकोका कोर्ट ने 11 लोगों को सजा सुनाई, 1993 ब्लास्ट के बाद का अंडरवर्ल्ड सिंडिकेट बहुत हद तक उसी के इर्द-गिर्द घूमता रहा था। खास बात यह


मुंबई

जिस फरीद तनाशा मर्डर में मकोका कोर्ट ने बुधवार को 11 लोगों को सजा सुनाई, 1993 ब्लास्ट के बाद का अंडरवर्ल्ड सिंडिकेट बहुत हद तक उसी के इर्द-गिर्द घूमता रहा था। खास बात यह है कि जिस भरत नेपाली के कहने पर फरीद का कत्ल हुआ, वह फरीद का कभी बहुत खास हुआ करता था। फरीद की कहानी नालासोपारा में एक डॉन की शादी से बहुत चर्चा में आई थी। है कि मुंबई

जिस फरीद तनाशा मर्डर में मकोका कोर्ट ने बुधवार को 11 लोगों को सजा सुनाई, 1993 ब्लास्ट के बाद का अंडरवर्ल्ड सिंडिकेट बहुत हद तक उसी के इर्द-गिर्द घूमता रहा था। खास बात यह है कि जिस भरत नेपाली के कहने पर फरीद का कत्ल हुआ, वह फरीद का कभी बहुत खास हुआ करता था। फरीद की कहानी नालासोपारा में एक डॉन की शादी से बहुत चर्चा में आई थी।

मुंबई
जिस फरीद तनाशा मर्डर में मकोका कोर्ट ने बुधवार को 11 लोगों को सजा सुनाई, 1993 ब्लास्ट के बाद का अंडरवर्ल्ड सिंडिकेट बहुत हद तक उसी के इर्द-गिर्द घूमता रहा था। खास बात यह है कि जिस भरत नेपाली के कहने पर फरीद का कत्ल हुआ, वह फरीद का कभी बहुत खास हुआ करता था। फरीद की कहानी नालासोपारा में एक डॉन की शादी से बहुत चर्चा में आई थी।

चेंबूर की पार्टी
उस हत्याकांड से कुछ महीने पहले चेंबूर में क्रिसमस पर एक पार्टी हुई थी। उस पार्टी में फरीद तनाशा भी था। उस पार्टी की सीडी बाद में मीडिया को लीक हो गई। सीडी से पता चला कि उस पार्टी में कई पुलिस वाले भी आए थो। उस पार्टी में शामिल कुछ पुलिस वालों को बाद में सस्पेंड कर दिया गया। एक पुलिस अधिकारी को बाद में सीआरपीसी के सेक्शन 311 के तहत बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्त उस पुलिस अधिकारी का फरीद से कोई रिश्ता नहीं था। उसका दाऊद के किसी आदमी से बातचीत का टेप किसी के पास था।


जब फरीद दिल्ली में गिरफ्तार हुआ, उसके बाद वह टेप क्राइम ब्रांच तक पहुंचा और उसके बाद संबंधित पुलिस इंस्पेक्टर को पुलिस की नौकरी से निकाल दिया गया। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार फरीद तनाशा छोटा राजन के सबसे खास लोगों में हुआ करता था। फरीद की दो पत्नियां हैं। इनमें से एक को छोटा राजन अपनी बहन मानता था।

इसलिए हुआ फरीद का कत्ल
फरीद का जन्म मुंबई में हुआ था, लेकिन वह ज्यादातर दिल्ली में ही रहा। उस दौर में भरत नेपाली, विजय शेट्टी सब छोटा राजन गिरोह से ही जुड़े हुए थे। लेकिन बाद में राजन गिरोह में फूट पड़ गई और विजय शेट्टी, भरत नेपाली ने कुछ और लोगों के साथ मिलकर अपना स्वतंत्र गिरोह बना लिया। भरत नेपाली ने खुद का गिरोह बनाने के बाद सबसे पहले नेपाल में जाली नोटों के कारोबारी जमीम शाह पर हमला किया। फिर फरीद तनाशा को निशाना बनाया। फरीद की सुपाारी दो कारण से ली गई।

पहली तो यह कि उसके कत्ल से छोटा राजन को बुरी तरह हिला देना, दूसरा फरीद के कत्ल के बाद मुंबई के बिल्डरों से जमकर उगाही करना। उन दिनों दत्तात्रय भाकरे नामक बिल्डर एसआरए के किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। भाकरे भरत नेपाली को नियमित हफ्ता देता था। उस एसआरए प्रोजेक्ट का तिलक नगर के कुछ लोग विरोध कर रहे थे। उन्होंने तिलक नगर इलाके के ही रहने वाले फरीद तनाशा से इसकी शिकायत की। फरीद ने भाकरे का धमकाया। भाकरे ने फिर भरत नेपाली से संपर्क किया। नेपाली ने विजय शेट्टी से शूटरों की व्यवस्था करने को कहा। विजय ने यूपी के डॉन जाफर अली आलम उर्फ अब्बास को कॉल किया। अब्बास ने शूटर तैयार किए और मुंबई भेजे। बाद में शूटर फरीद पर उसी के घर गोलियां चलाकर भाग गए।


जंगल तक पहुंची एसआईटी
फरीद के कत्ल से मुंबई में सनसनी फैल गई। उन दिनों के मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ हिमांशु रॉय और अडिशनल सीपी देवेन भारती ने डीसीपी निसार तांबोली और प्रॉपर्टी सेल के सीनियर इंस्पेक्टर अरुण चव्हाण के नेतृत्व में एसआईटी बनाई। इस एसआईटी में इंस्पेक्टर श्रीपद काले, अजय सावंत, नंदकुमार गोपाले, रवींद बडगुजर सहित कई अधिकारियों को रखा गया। इस एसआईटी को शूटरों का नहीं, पर फरीद की सुपारी लेने वाले अब्बास के मध्य प्रदेश में होने की एक दिन टिप मिली।

क्राइम ब्रांच का एक इंस्पेक्टर उसके ठिकाने तक मध्य प्रदेश में एक जंगल तक पहुंच गया। अब्बास और उस इंस्पेक्टर के बीच कुछ गुत्थमगुत्था हुई। उसमें अब्बास का मोबाइल कहीं छिटक कर गिर गया। अब्बास को वह इंस्पेक्टर पकड़कर कहीं आगे ले गया। उसी दौरान विजय शेट्टी का अब्बास के नंबर पर कॉल आया। अब्बास तो इंस्पेक्टर की गिरफ्त में था, इसलिए जैसे ही उसके मोबाइल पर घंटी बजी, एक पान वाले को वह सुनाई पड़ी।

विजय शेट्टी अभी भी फरार
मोबाइल जमीन पर पड़ा हुआ था। उस पान वाले ने वह फोन उठा लिया। दूसरी तरफ से जब विजय को मोबाइल पर कोई दूसरी आवाज सुनाई पड़ी, तो उसने पूछा, अब्बास कहां है? पान वाले ने कहा कि उसे तो अभी पुलिस ले गई है। अब्बास के मोबाइल नंबर को मुंबई क्राइम ने इंटरसेप्ट किया हुआ था, इसलिए जैसे ही पान वाले के साथ विजय शेट्टी की कॉल सुनी गई, अब्बास के मोबाइल को पान वाले के पास से एसआईटी ने अपने कब्जे में लिया। इंस्पेक्टर के लगाए ट्रैप पर फिर अब्बास ने विजय शेट्टी को कॉल किया और कहा कि मुझे क्राइम ब्रांच टीम ने नहीं उठाया। दरअसल, मेरी एक दोस्त से मस्ती में मारामारी हुई, उसी में मेरा मोबाइल गिर गया। पान वाले ने भी विजय शेट्टी को यही समझाया।


विजय मानकर चला कि ये लोग सही बोल रहे हैं। इसीलिए उसने अपने और लोगों को अब्बास की गिरफ्तारी के बाद अलर्ट नहीं किया। बाद में अब्बास की टिप पर दिल्ली से मोहम्मद साकिब खान व जौनपुर व मुंबई से शेष आरोपी पकड़े गए। डीसीपी निसार तांबोली ने बुधवार को बताया कि इन 11 आरोपियों में से 6 को मकोका कोर्ट ने आजीवन कारावास, जबकि पांच को दस साल की सजा सुनाई है। विजय शेट्टी इस केस में अभी भी फरार है, जबकि भरत नेपाली का, ऐसा आरोप है कि विजय ने विदेश में कत्ल करवा दिया।


No comments:

Post a Comment